कुरान - कुरान की मान्यताएँ (Quran in Hindi)
इस आरंभिक विचार के बाद यह समझ लें कि क़ुरान के अनुसार इस धरती पर मनुष्य की क्या स्थिति है?
अल्लाह ने इस धरती पर मनुष्य को अपना प्रतिहारी (ख़लीफ़ा) बनाकर भेजा है। भेजने से पूर्व उसने हर व्यक्ति को ठीक-ठीक समझा दिया था कि वे थोड़े समय के लिए धरती पर जा रहे हैं, उसके बाद उन्हें उसके पास लौट कर आना है। जहाँ उसे अपने उन कार्यों का अच्छा या बुरा बदला मिलेगा जो उसने धरती पर किए। इस लिए कुरान में सकारात्मक कार्य करने को कहा गया है , जैसे जीव हत्या, अनावश्यक हरे पेड़ों की कटाई ,किसी को व्यर्थ आघात पहुँचाना, व्यर्थ जल बहाना, आदि कुरान के अनुसार पाप हैं ।
इस धरती पर मनुष्य को कार्य करने की स्वतंत्रता है। धरती के साधनों को उपयोग करने की छूट है। अच्छे और बुरे कार्य को करने पर उसे तक्ताल कोई दण्ड या पुरस्कार नहीं है। किन्तु इस स्वतंत्रता के साथ ईश्वर ने धरती पर बसे मनुष्यों को ठीक उस रूप में जीवन गुज़ारने के लिए ईश्वरीय आदेशों के पहुंचाने का प्रबंध किया और धरती के हर भाग में उसने अपने दूत (पैग़म्बर) भेजे, जिन्होंने मनुष्यों तक ईश्वर का संदेश भेजा। कहा जाता है कि ऐसे ईशदूतों की संख्या १,८४,००० के लगभग रही।
हज़ारों वर्षों तक निरंतर आने वाले पैग़म्बरों का चाहे वे धरती के किसी भी भाग में अवतरित हुए हों, उनका संदेश एक था, उनका लक्ष्य एक था, ईश्वरीय आदेश के अनुसार मनुष्यों को जीना सिखाना। हज़ारों वर्षों का समय बीतने के कारण ईश्वरीय आदेशों में मनुष्य अपने विचार, अपनी सुविधा जोड़ कर नया धर्म बना लेते और मूल धर्म को विकृत कर एक आडम्बर खड़ा कर देते और कई बार तो ईश्वरीय आदेशों के विपरित कार्य करते। क्यों कि हर प्रभावी व्यक्ति अपनी शक्ति के आगे सब को नतमस्तक देखना चाहता था।
आख़िर अंतिम नबी हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) क़ुरआन के साथ इस धरती पर आए और क़ुरआन ईश्वर की इस चुनौती के साथ आई कि इसकी रक्षा स्वयं ईश्वर करेगा। १५०० वर्षों का लम्बा समय यह बताता है कि क़ुरान विरोधियों के सारे प्रयासों के बाद भी क़ुरान के एक शब्द में भी परिवर्तन संभव नहीं हो सका है। यह पुस्तक अपने मूल स्वरूप में प्रलय तक रहेगी। इसके साथ क़ुरान की यह चुनौती भी अपने स्थान पर अभी तक बैइ हुई है कि जो इसे ईश्वरीय ग्रंथ नहीं मानते हों तो वे इस जैसी पूरी पुस्तक नहीं बल्कि उसका एक छोटा भाग ही बना कर दिखा दें।
क़ुरान के इस रूप को जानने के बाद यह जान लिया जाना चाहिए कि यह पुस्तक रूप में हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) को नहीं दी गई कि इसे पढ़कर लोगों को सुना दें और छाप कर हर घर में रख दें। बल्कि समय-समय पर २३ वर्षों तक आवश्यकता अनुसार यह पुस्तक अवतरित हुई और हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) ने ईश्वर की इच्छा से उसके आदेशों के अनुसार धरती पर वह समाज बनाया जैसा ईश्वर का आदेश था।
पश्चिमी विचारक ऍच॰ जी॰ वेल्स के अनुसार इस धरती पर प्रवचन तो बहुत दिए गए किन्तु उन प्रवचनों के आधार पर एक समाज की रचना पहली बार हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) ने करके दिखाई। कुरान के अनुसार किसी अन्य धर्म का अपमान नहीं करना चाहिए बल्कि उस धर्म कि सकारात्मक बात को गृहण कर लेना चाहिए।
हिंदी में पूरी कुरान
वैज्ञानिक तथ्य जो अब तक हमें ज्ञात हैं, क़ुरान में छुपे हैं और ऐसे सैकड़ों स्थान है जहां लगता है कि मनुष्य ज्ञान अभी उस सच्चाई तक नहीं पहुंचा है। बार-बार क़ुरान आपको विचार करने की दावत देता है। धरती और आकाश के रहस्यों को जानने का आमंत्रण देता हैं।
एक उलझन और सामने आती है। क़ुरान के दावे के अनुसार वह पूरी धरती के मनुष्यों के लिए और शेष समय के लिए है, किन्तु उसके संबोधित उस समय के अरब दिखाई देते हैं। सरसरी तौर पर यही लगता है कि क़ुरान उस समय के अरबों के लिए ही अवतरित किया गया था किन्तु आप जब भी किसी ऐसे स्थान पर पहुंचें जब यह लगे कि यह बात केवल एक विशेष काल तथा देश के लिए है, तब वहां रूक कर विचार करें या इसे नोट करके बाद में इस पर विचार करें तो आप को हर बार लगेगा कि मनुष्य हर युग और हर भू भाग का एक है और उस पर वह बात ठीक वैसी ही लागू होती है, जैसी उस समय के अरबों पर लागू होती थी।
SURAHS (अद्ध्याय)
- 1. सूरह फातेहा Surah Al-Fatihah
- 2. सूरह बकराह Surah Al-Baqrah
- 3. सूरह आले इमरान Surah Aal-e-Imran
- 4. सूरह अन-निसा Surah An-Nisa
- 5. सूरह अल-माइदा Surah Al-Maidah
- 6. सूरह अल-अनाम Surah Al-Anam
- 7. सूरह अल-आराफ़ Surah Al-Aaraf
- 8. सूरह अल-अन्फाल Surah Al-Anfal
- 9. सूरह अत-तौबा Surah At-Taubah
- 10. सूरह युनुस Surah Yunus
- 11. सूरह हूद Surah Hud
- 12. सूरह युसूफ Surah Yusuf
- 13. सूरह र’आद Surah Ar-Ra’d
- 14. सूरह इब्राहीम Surah Ibrahim
- 15. सूरह अल हिज्र Surah Al-Hijr
- 16. सूरह अन नहल Surah An-Nahl
- 17. सूरह अल इस्रा Surah Al-Isra
- 18. सूरह अल कहफ़ Surah Al-Kahf
- 19. सूरह मरियम Surah Mariyam
- 20. सूरह तहा Surah Tahaa
- 21. सूरह अल-अम्बिया Surah Al-Ambiya
- 22. सूरह अल-हज Surah Al-Hajj
- 23. सूरह अल-मुमिनून Al-Mu’minun
- 24. सूरह अन-नूर Surah An-Noor
- 25. सूरह अल-फुरकान Surah Al-Furqan
- 26. सूरह अस-शुआरा Ash-Shu’ara
- 27. सूरह अन-नम्ल Surah An-Naml
- 28. सूरह अल-क़सस Surah Al-Qasas
- 29. सूरह अल-अनकबूत Surah Al-Ankabut
- 30. सूरह अर-रूम Surah Ar-Rum
- 31. सूरह लुकमान Surah Luqman
- 32. सूरह अस-सजदा Surah As-Sajda
- 33. सूरह अल-अह्जाब Surah Al-Ahzab
- 34. सूरह सबा Surah Saba
- 35. सूरह फातिर Surah Fatir
- 36. सूरह यासीन Surah Yasin
- 37. सूरह अस-सफ्फात Surah As-Saaffat
- 38. सूरह स’आद Surah Saad
- 39. सूरह अज-ज़ुमर Surah Az-Zumar
- 40. सूरह अल-गाफिर Surah Al-Ghafir
- 41. सूरह फुसिलत Surah Fussilat
- 42. सूरह अश-शूरा Surah Ash-Shuraa
- 43. सूरह अज-जुखरूफ Surah Az-Zukhruf
- 44. सूरह अद-दुखान Surah Ad-Dukhan
- 45. सूरह अल-जाथीया Surah Al-Jathiya
- 46. सूरह अल-अह्काफ़ Surah Al-Ahqaf
- 47. सूरह मुहम्मद Surah Muhammad
- 48. सूरह अल-फतह Surah Al-Fatah
- 49. सूरह अल-हुजरात Surah Al-Hujurat
- 50. सूरह काफ Surah Qaf
- 51. सूरह अज़-ज़ारियात Surah Adh-Dhariyat
- 52. सूरह अत-तूर Surah At-Tur
- 53. सूरह अन-नज्म Surah An-Najm
- 54. सूरह अल-कमर Surah Al-Qamar
- 55. सूरह अर-रहमान Surah Ar-Rahman
- 56. सूरह अल-वाकिया Surah Al-Waqi’ah
- 57. सूरह अल-हदीद Surah Al-Hadid
- 58. सूरह अल-मुजादिला Surah Al-Mujadila
- 59. सूरह अल-हष्र Surah Al-Hashr
- 60. सूरह अल-मुमताहिना Surah Al-Mumtahanah
- 61. सूरह अस-सफ्फ Surah As-Saf
- 62. सूरह अल-जुमाअ Surah Al-Jumu’ah
- 63. सूरह अल-मुनाफिकुन Surah Al-Munafiqun
- 64. सूरह अत-तग़ाबुन Surah At-Taghabun
- 65. सूरह अत-तलाक Surah At-Talaq
- 66. सूरह अत-तहरिम Surah At-Tahrim
- 67. सूरह अल-मुल्क Surah Al-Mulk
- 68. सूरह अल-कलाम Surah Al-Qalam
- 69. सूरह अल-हाक्का Surah Al-Haqqah
- 70. सूरह अल-मारिज Surah Al-Ma’arij
- 71. सूरह नूह Surah Nuh
- 72. सूरह अल-जिन्न Surah Al-Jinn
- 73. सूरह अल-मुज़म्मिल Surah Al-Muzzammil
- 74. सूरह अल्-मुद्दस्सिर Surah Al-Muddaththir
- 75. सूरह अल-कियामा Surah Al-Qiyamah
- 76. सूरह अल-इन्सान Surah Al-Insan
- 77. सूरह अल-मुर्सलत Surah Al-Mursalat
- 78. सूरह अल-नबा Surah An-Naba
- 79. सूरह अन-नाज़िआ़त Surah An-Nazi’at
- 80. सूरह अबसा Surah ‘Abasa
- 81. सूरह अत-तक्वीर Surah At-Takwir
- 82. सूरह अल-इन्फिकार Surah Al-Infitar
- 83. सूरह अल-मुताफ्फिन Surah Al-Mutaffifin
- 84. सूरह अल-इन्शिकाक Surah Al-Inshiqaq
- 85. सूरह अल-बुरूज Surah Al-Buruj
- 86. सूरह अत-तारिक Surah At-Tariq
- 87. सूरह अल-अला Surah Al-Ala
- 88. सूरह अल-घाशिया Surah Al-Ghashiyah
- 89. सूरह अल-फज्र Surah Al-Fajr
- 90. सूरह अल-बलद Surah Al-Balad
- 91. सूरह अस-शम्स Surah Ash-Shams
- 92. सूरह अल-लैल Surah Al-Layl
- 93. सूरह अद-दुहा Surah Ad-Dhuha
- 94. सूरह अल-इन्शिराह Surah Ash-Sharh
- 95. सूरह अत-तिन Surah At-Tin
- 96. सूरह अल-अलक Surah Al-Alaq
- 97. सूरह अल-कद्र Surah Al-Qadr
- 98. सूरह अल-बय्यिना Surah Al-Bayyina
- 99. सूरह अज़-ज़ल्ज़ला Surah Az-Zalzalah
- 100. सूरह अल-आदियात Surah Al-Adiyat
- 101. सूरह अल-क़ारिअह Surah Al-Qaria
- 102. सूरह अत-तकासुर Surah At-Takathur
- 103. सूरह अल-अस्र Surah Al-Asr
- 104. सूरह अल-हुमज़ह Surah Al-Humazah
- 105. सूरह अल-फ़ील Surah Al-Fil
- 106. सूरह क़ुरइश Surah Quraysh
- 107. सूरह अल-माऊन Surah Al-Ma’un
- 108. सूरह अल-कौसर Surah Al-Kawthar
- 109. सूरह अल-काफिरून Surah Al-Kafirun
- 110. सूरह अन-नस्र Surah An-Nasr
- 111. सूरह अल-मसद Surah Al-Masad
- 112. सूरह अल-इख़लास Surah Al-Ikhlas
- 113. सूरह अल-फलक़ Surah Al-Falaq
- 114. सूरह अन-नास Surah An-Nas
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